Transformer Safety in Hindi | Oil Type Transformer Safety

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Transformer Safety in Hindi | Oil Type Transformer Safety

Transformer Safety in Hindi:- आज की पोस्ट का विषय है, Transformer Safety in Hindi। इस पोस्ट में हम Transformer Safety कौन-कौन सी होती हैं, Transformer Safety के प्रकार कौन-कौन से होते हैं, और जो Transformer Safety डिवाइस कौन कौन से होते हैं। ये कैसे काम करते हैं, यह सब हम आज की इस पोस्ट में जानने वाले हैं।

Transformer Safety in Hindi

सबसे पहले देखते हैं आखिर Transformer Safety क्या होती क्या है। Transformer Safety वह होती है, जिसमे Transformer में कुछ डिवाइस लगाए जाते हैं ताकि Transformer किसी भी आने वाले इंटरनल या एक्सटर्नल फाल्ट्स के साथ-साथ किसी भी असाधारण हालात से सुरक्षित रखा जाए, यानी के Transformer बिना किसी खराबी के अपना काम आसानी से करता रहे, इसके लिए हम कुछ Safety Device’s इस्तेमाल करते हैं, और उनको ही Transformer की Safety भी कहा जाता है।

यह जितने भी Safety Device’s Transformer में लगे रहते हैं, यह सभी किसी भी ब्रेकडाउन या फाल्ट्स आने से पहले अलार्म देने के साथ Transformer को ट्रिप करा देते हैं। ताकि समय रहते Transformer में कोई भी खराबी आने से बच जाए या फिर कोई छोटा-मोटा फॉल्ट आए तो उसका भी पता लग जाए।

Transformer की Safety के प्रकार (Types of Transformer Safety in Hindi)

Transformer Safety मुख्यतः दो प्रकार की होती है:-

  • अंदरूनी सुरक्षा (Internal)
  • बाहरी सुरक्षा (External)

इंटरनल यानी अंदरूनी सुरक्षा का मतलब होता है कि Transformer के अंदर जो भी फाल्ट्स या खराबी आते हैं या फिर कोई भी असाधारण कंडीशन होती है तो उन सभी से Transformer को सुरक्षित रखने के लिए ही इंटरनल सेफ्टी/प्रोटेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है। और बाहरी सुरक्षा (External) का मतलब यह होता है कि Transformer में जो भी External फाल्ट्स या खराबी आती है उन सभी से Transformer को सुरक्षित रखने के लिए Transformer में External प्रोटेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है।

अंदरूनी सुरक्षा (Internal Safety)

अब हम Transformer की अंदरूनी सुरक्षा (Internal) प्रोटेक्शन के बारे में डिटेल में जान लेते हैं कि इसमें कौन-कौन से Safety Device’s इस्तेमाल किए जाते हैं और वह कैसे काम करते हैं।

बुककल्ज़ रिले (Buchholz Relay)

सबसे पहले बात करते हैं हम Buchholz Relay के बारे में कि Buchholz Relay क्या होती है, इसको कहाँ लगाया जाता है और इसका क्या काम होता है।




Buchholz Relay जिले एक गैस ऑपरेटेड रिले होती है, जिसका काम Transformer के अंदर आने वाले छोटे से बड़े फाल्ट्स से Transformer को सुरक्षित रखना होता है। Buchholz Relay को Transformer के मुख्य टैंक और Conservator Tank के बीच में लगाया जाता है। इसके साथ ही Buchholz Relay लगाने में एंगल का खास ध्यान रखा जाता है, इसको 3 से लेकर 7 डिग्री के एंगल पर लगाया जाता है।

Buchholz Relay का इस्तेमाल ज्यादातर 500 kVa से बड़े Transformer में किया जाता है। साथ ही किसी किसी मामले में छोटे Transformer में भी Buchholz Relay का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन ज्यादातर छोटे Transformer में Buchholz Relay का इस्तेमाल इसीलिए नहीं किया जाता क्योंकि इसका इस्तेमाल करने से Transformer की कीमत बढ़ जाती है। Buchholz Relay पूरी ततः से Mechanically Operated होती है।

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Buchholz Relay के अंदर दो Mercury Switch लगे होते हैं इन Mercury Switch साथ उनके साथ दो फ्लैप भी जुड़े होते हैं। इनमें से एक हल्का फ्लैप होता है, और एक थोड़ा भारी होता है। इनमें जो फ्लैप हल्का होता है उसका Mercury Switch अलार्म सर्किट के साथ जुड़ा रहता है। और भारी फ्लैप का Mercury Switch ट्रिप सर्किट के साथ जुड़ा रहता है।

जब भी Transformer में कोई छोटा फाल्ट आता है, तो यह हल्के वाला फ्लैप हिलता है जिसके कारण Mercury Switch ऑपरेट होता है, Mercury Switch ऑपरेट होने के कारण इसमें जो तरल Mercury होता है, वह इस Switch के दोनों कांटेक्ट को आपस में शार्ट कर देता है, और शॉर्ट होने के कारण अलार्म एक्टिवेट हो जाता है।

दूसरा जो भारी फ्लैप होता है उसकी कार्य प्रणाली भी ऐसे ही होती है। इस Switch में भी तरल Mercury भरा होता है। जब Transformer में कोई बड़ा अंदरूनी फॉल्ट आता है तो यह भारी वाला फ्लैप Mercury Switch को ऑपरेट करता है, और इस Switch के कनेक्शन ट्रिपिंग सर्किट के साथ जुड़े होते हैं। जो Transformer को ट्रिप कर देता है।

कार्य प्रणाली (Working)

अब Buchholz Relay काम कैसे करती है, ये भी आपको बताते हैं। जब भी Transformer में कोई अंदरूनी खराबी आती है तो उसका ऑयल गर्म हो जाता है साथ ही उसमें गैस भी पैदा होती है। और वह गैस बाहर निकलने की कोशिश करती है। और जब भी वह गैस बाहर निकलेगी अगर वह थोड़ी होगी तो सिर्फ अलार्म वाले फ्लैप को ही हिला पाएगी और अगर गैस बहुत ज्यादा होगी तो जो मुख्य फ्लैप है जो Transformer ट्रिप करवाता है, गैस उसको भी हिला कर ऑपरेट कर देगी और इस कारण बिना देरी के Transformer बंद हो जाएगा। और Transformer में कोई भी बड़ा फैल्ट आने से बच जाएगा।

Buchholz Relay में कोई भी इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक सर्किट नहीं होता इसकी वर्किंग पूरी तरह से मैकेनिकली होती है।

प्रेशर रिलीफ वाल्व (Pressure Relief Valve)

Pressure Relief Valve भी बड़े Transformer में इस्तेमाल की जाती है। Transformer के अंदर का जब प्रेशर बढ़ जाता है तो Pressure Relief Valve उसको कंट्रोल करती है। Pressure Relief Valve वालों को Transformer के ऊपर टॉप पर लगाया जाता है। इसका काम यही होता है कि जब भी कभी Transformer के अंदर प्रेशर बहुत ज्यादा हो जाता है तो यह Pressure Relief Valve जो बिल्कुल प्रेसर कुकर की सिटी की तरह ही काम करती है और Transformer के अंदर का जो भी एक्स्ट्रा प्रेशर है उसको यह रिलीज कर देती है।

इसके कारण कोई भी एक्सप्लोसिव कंडीशन/धमाका नहीं हो पाता। यानी कि अगर Transformer में Pressure Relief Valve लगी है तो ज्यादा प्रेशर के कारण होने वाले किसी भी धमाके को आसानी से रोका जा सकता है। इसमें भी एक स्विच भी लगा होता है जो कि अलार्म सर्किट के साथ जुड़ा होता है। तो जब भी यह ऑपरेट होगी तो उसी टाइम हमें अलार्म भी एक्टिवेट हो जाएगा।

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इसमें एक प्लेट लगी लगी होती है जिसके ऊपर एक स्प्रिंग लगा होता है। और वो स्प्रिंग उस प्लेट को दबा के रखता है। और जब भी प्रेशर ज्यादा हो जाता है तो वह प्रेशर इस प्लेट को ऊपर उठा देता है। और जो भी एक्स्ट्रा प्रेशर होता है वह रिलीज हो जाता है।

और जैसे-जैसे प्रेशर कम होता जाता है वैसे ही जो स्प्रिंग ढीला हो जाता है। और उस प्लेट को वापस से टाइट कर देता है। जिससे Pressure Relief Valve फिर से बन्द हो जाती है। Pressure Relief Valve के द्वारा प्रेसर सिर्फ अंदर से बाहर जा सकता है इसमे किसी भी प्रकार की गैस या हवा बाहर से अंदर नहीं आ सकती। Pressure Relief Valve का डिजाइन और टाइप्स अलग-अलग तरह के हो सकते हैं। इसमें एक अलग से पिन या हैंडल भी दिया जाता है जिसके इस्तेमाल करके आप मैनुअली भी प्रेशर को निकाल सकते हैं।

एक्सप्लोजन वेंट वाल्व (Explosion Vent Valve)

Explosion Vent Valve हमारे Pressure Relief Valve की तरह ही काम करता है। लेकिन जो Pressure Relief Valve होती है उसके अंदर स्प्रिंग का इस्तेमाल किया जाता है। Explosion Vent Valve के अंदर किसी भी तरह का स्प्रिंग इस्तेमाल नहीं किया जाता। उसका जो मेकैनिज्म होता है वह Pressure Relief Valve से बिल्कुल अलग होता है। Pressure Relief Valve में एक रबड़ की सील होती है, किसी किसी में रबड़ की सील की जगह पे पर मेटल की एक बहुत ही पतली लेयर होती है जो कि उसी सील का काम करती है। 

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और जब भी Transformer में प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तो जो इसमें यह सील लगी होती है वह धमाके के साथ फट जाती है। और जो भी प्रेसर Transformer के अंदर होता है वह सारा रिलीज हो जाता है। क्योंकि इसमें लगी हुई सील या मेटल की पतली लेयर Transformer की बॉडी के मुकाबले बहुत ही कमजोर होती है। तो जैसे ही Transformer में प्रेशर बढ़ते ही यह जो Explosion Vent Valve फट जाती है, और प्रेसर रिलीज हो जाता है।

इसका उदाहरण भी आप प्रेशर कुकर में देख सकते हैं, प्रेशर कुकर के ऊपर जो सिटी लगी होती है उसके साइड में एक अलग से वाल्व लगी होती है, यह वाल्व भी Explosion Vent Valve होती है।

और ये जो Explosion Vent Valve होती है वह सिंगल यूज़ होती है। एक बार फटने पर इसको बदलना पड़ता है। साथ ही इसमें भी मैनुअल प्रेसर रिलीज करने के लिए पिन दिया जाता है। जिसके द्वारा Transformer के प्रेशर को निकाला जा सकता है।

ऑयल एंड वाइंडिंग टेंपरेचर (OTI & WTI)

Transformer के अंदर दो टेंपरेचर सेंसर भी लगे होते हैं। इनमें से एक आयल के टेंपरेचर को मापता है, और दूसरा वाइंडिंग का टेंपरेचर को मापता है। इनमें जो वाला ऑयल इंडिकेटर होता है उसको OTI बोलते हैं और जो वाइंडिंग का टेंपरेचर मापता है उसको WTI बोलते हैं। इनकी लोकेशन Transformer में बिल्कुल सामने ही दी जाती है, ताकि आसानी से Transformer की वाइंडिंग और आयल का टेंपरेचर देखा जा सके।

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इनमें 2 सर्किट भी लगे रहते हैं, जो कि अलार्म और ट्रिपिंग सर्किट के साथ जुड़े होते हैं। Transformer में तापमान सेट लिमिट से ज्यादा बढ़ने पे पहले अलार्म सर्किट वार्निंग देगा और अगर उसके बाद भी अगर तापमान लगातार बढ़ता रहता है तो ट्रिप सर्किट Transformer को ट्रिप करवा देते हैं।

कंजरवेटर टैंक (Conservator Tank)

Transformer में Conservator Tank एक अलग से टैंक होता है। Conservator Tank का काम ये होता है कि जो Transformer होता है उसमें जो ऑयल होता है, ये उसके लिए एक्स्ट्रा स्पेस अवेलेबल करवाता है। जब Transformer को हम चलाते हैं तो उसमें हिटिंग होती है और उस हीट से ही Transformer आयल बहुत गर्म हो जाता है। और गर्म होने के साथ-साथ वह फैल जाता है, तो फैलने के बाद वह मैन टैंक से एक पतली पाइप के द्वारा Conservator Tank में चला जाता है।

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और जब Transformer ठंडा होता है तो आयल भी ठंडा हो जाएगा तो उसके बाद बाद आ आयल कंजरवेटर टैंक से वापस Transformer के मैन टैंक में आ जायेगा। Conservator Tank पाइप के द्वारा Transformer के ऊपर लगाया जाता है।

ब्रीदर (Breather)

Breather जैसा कि आप इसके नाम से ही समझ सकते हैं, कि इस को सांस लेने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। Breather Transformer के स्वसन तंत्र की तरह ही काम करता है। अब जैसे कि हमने Conservator Tank के मामले में बताया था कि जब भी तेल गरम होता है तो Conservator Tank में चला जाता है, और ठंडा होने के बाद तेल वापस से मैन टेंक में चला जाता है। तो ऐसे में जो Conservator Tank में हवा आती और जाती है और ये जो हवा का अंदर और बाहर आना जाना होता है, वह Breather के द्वारा ही होता है।

Breather को एक पाइप के द्वारा Conservator Tank कनेक्ट किया जाता है।  इसमें अंदर सिलिका जैल के छोटे-छोटे टुकड़े भरे होते हैं। जब भी Transformer के Conservator Tank टैंक में हवा जाती है तो वह इस Breather से होकर गुजरती है, तो इसके कारण हवा में जो नमी होती है वह सारी नमी सिलिका जेल के द्वारा शोख ली जाती है, और Transformer  के अंदर सिर्फ प्योर हवा ही जाती है।

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क्योंकि अगर हम Breather का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो Transformer के अंदर जो हवा जाएगी उसके साथ नमी भी जाएगी। Transformer के अंदर नमी वाली हवा जाने के कारण Transformer के ऑइल की Dielectric Strength कम हो जाएगी। इसके कारण Transformer में बहुत सारे फ़ाल्ट आ सकते हैं। इसमें जो सिलिका इस्तेमाल किया जाता है उसका रंग नीला होता है। जब ये सिलिका जैल नमी को अपने अंदर सोख लेती है तो इसका रंग सफ़ेद और हल्का गुलाबी हो जाता है। तो जब सिलिका जैल का रंग सफ़ेद और हल्का गुलाबी हो जाए तो हमें इसको बदलना पड़ता है।

सिलिका जैल का रंग बदलने के बाद ये और नमी नहीं सोख पाती तो हमें इसको बदलना पड़ता है। अगर हम पैसे खर्च ना करना चाहे तो हम यह भी कर सकते हैं, कि  रंग बदलने के बाद सिलिका जैल को धूप में सुखाकर उसका उसका फिर से इस्तेमाल कर सकते हैं। धूप में अच्छे से सुखाने के बाद सिलिका जैल वापस से पहले जैसे कंडीशन में आ जाती है। सिलिका जैल से अलग Breather में एक छोटा सा कप भी लगा रहता है, जिसमें कि थोड़ा सा तेल रहता है तो हवा के साथ जो भी कीट-पतंगे Breather में आते हैं वह सारे के सारे इस तेल में फंस कर रह जाते हैं।

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अर्थिंग (Transformer Earthing)

अर्थिंग भी Transformer की सेफ्टी में एक बहुत ही बड़ा रोल निभाती है। Transformer में जो अर्थिंग की जाती है उसकी रजिस्टेंस वैल्यू बहुत कम होती है। ये आमतौर पे एक ओम से कम ही होनी चाहिए। Transformer में अर्थिंग Transformer की बॉडी के साथ साथ Transformer के न्यूट्रल इन दोनों के साथ कनेक्ट की जाती है। छोटे Transformer में एक ही अर्थिंग से Transformer की बॉडी और न्यूट्रल को जोड़ दिया जाता है, लेकिन जो बडे Transformer होते हैं उनमें Transformer की बॉडी और न्यूट्रल के लिए अलग-अलग अर्थिंग का इस्तेमाल किया जाता है।

Transformer के साथ जितनी भी अर्थिंग जोड़ी जाती हैं, इन सभी को पैरेलल में कनेक्ट किया जाता है। ताकि अर्थ रजिस्टेंस की वैल्यू कम हो सके। इसके अलावा अगर किसी भी कारण से कोई एक भी अर्थिंग खराब हो जाती है तो बाकी दूसरी अर्थिंग से Transformer की सुरक्षा हो सके।

Transformer में जितनी भी अर्थिंग लगी होती हैं, उनको समय समय पे चेक करते रहना चाहिए, कहीं वह डैमेज तो नहीं हो गई हैं। साथ ही उनका रेसिस्टेन्स भी चेक करते रहना चाहिए। अगर अर्थिंग की वैल्यू जरूरत से ऊपर चला जाए तो फिर अर्थिंग को रिपेयर करना होगा। इसके लिए हम अर्थिंग पिट के अंदर चारकोल, नमक और पानी का घोल डाल सकते हैं। उसके बाद भी अगर अर्थ रेसिस्टेन्स कम नहीं होता है तो अर्थ इलेक्ट्रोड को बदलना होगा।

बाहरी सुरक्षा (External Safety)

जो Transformer की External Safety होती है उनमें Lightning Arrestor का इस्तेमाल किया जाता है। जो कि हाई और लो वोल्टेज सर्ज प्रोटेक्शन के साथ-साथ, बारिश के मौसम में होने वाली लाइटनिंग से भी Transformer की सुरक्षा करता है।

ओवर करंट प्रोटक्शन (Over Current)

अगर किसी भी कंडीशन Transformer के साथ ज्यादा लोड जोड़ दिया जाए और किसी ओर कारण से Transformer में ज्यादा करंट फ्लो करने लग जाए तो ऐसे में Over Current प्रोटेक्शन Transformer को ट्रिप करवा देती है।

अर्थ फॉल्ट प्रोटक्शन (Earth Fault)

Transformer के जो तीन फेस होते हैं। उनमे से कोई एक भी अगर अर्थ के साथ शॉट हो जाता है, तो ऐसे में Earth Fault प्रोटक्शन Transformer को किसी बड़े नुकसान होने से पहले ट्रिप कर देती है।

इसके अलावा Transformer में Differential Protection, Over Fluxing Protection के साथ-साथ HG Fuse का भी इस्तेमाल किया जाता है।

उम्मीद है आपको transformer safety in hindi, transformer safety, ट्रांसफार्मर की सेफ्टी क्या है, transformer ki safety, protection of transformers, transformer protection in hindi, safety of transformer in hindi, transformer ki safety kya hai, सैलरी बहुत पसंद आई होगी। अगर पसंद आई है तो आप हमें कमेंट में बता सकते हैं अगर आपका कोई सवाल नहीं तो भी अपने कमेंट में पूछ सकते हैं।

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