Why use Charcoal and Salt for Earthing – जब भी आप अर्थिंग के बारे में पढ़ते हैं तो एक सवाल आपके मन में जरूर आता होगा कि जब हम अर्थिंग पिट बनाते हैं तो उसमें चारकॉल और नमक क्यों डाला जाता है। अगर आप इलेक्ट्रिकल से जुड़े हैं या इलेक्ट्रिकल की पढ़ाई कर रहे हैं तो आपके लिए ये बहुत ही जरूरी प्रशन है, और इससे भी जरूरी इसका उत्तर जानना जरूरी है।
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चारकोल और नमक डालने की जरूरत क्यों (why are salt and charcoal added in earthing pit)
इसको जानने से पहले हमको ये समझने की जरुरत पड़ेगी कि इसमें चारकोल और नमक डालने की जरूरत ही क्यों पड़ती है, जैसा कि आपको पता है जहां भी इलेक्ट्रिकल सिस्टम लगाया जाता है वहां समय समय पर अर्थिंग का प्रतिरोध (Resistance) चेक करने की जरूरत होती है, यानी अर्थिंग का प्रतिरोध (Resistance) कम है के नहीं यह हमें बार-बार देखने की जरूरत होती है
क्योंकि इसको हमे कम से कम लेवल पे बनाये रखने की जरूरत होती है। हालांकि इसका लेवल जीरो नही हो सकता फिर भी इसका लेवल ज्यादा से ज्यादा 5 ohm से ऊपर नही होना चाहिए। 0 से 5 के बीच इसका लेवल हमारे इलेक्ट्रिकल सिस्टम की सक्रियता पे निर्भर करता है।
अगर आप ये सोच रहे हैं के ये प्रतिरोध (Resistance) अर्थिंग के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले अर्थिंग इलेक्ट्रोड जैसे पाइप अर्थिंग और प्लेट अर्थिंग में इस्तेमाल होने वाले पाइप और प्लेट का होता है तो आप गलत हैं। ये जो लेवल 5 ohm तक होता है वो अर्थिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इलेक्ट्रोड और जहां पर अर्थिंग कि जाती है उस जमीन की मिट्टी का दोनों का मिला के कंबाइन प्रतिरोध होता है, इसी को अर्थिंग रेजिस्टेंस कहते हैं।
इसका मतलब ये हुआ कि जिस जमीन में हम अर्थिंग कर रहे हैं अगर उसका प्रतिरोध ज्यादा हुआ और उसमें हमने अर्थिंग की है तो ऐसे में हमारे इलेक्ट्रिकल सिस्टम में कोई खराबी आ जाती है तो यह हमारे और हमारे इलेक्ट्रिकल सिस्टम के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। तो इसी कारण अर्थिंग इलेक्ट्रोड के साथ हमारी जमीन का प्रतिरोध भी कम करना होता है।
अब इसको हम कैसे कम करेंगे यही समझने वाली बात है। तो जब भी हम अर्थिंग पिट बनाते है तो ये बात ध्यान में रखनी होती है कि इसकी लाइफ बड़ी होनी चाहिए, तो अर्थिंग पिट की लाइफ बढ़ाने और इसका प्रतिरोध कम बनाये रखने के लिए अर्थिंग पिट में चारकोल और नमक का इस्तेमाल किया जाता है।
चारकोल और नमक ही क्यों (why only salt and charcoal)
अब चारकोल और नमक का ही क्यों इस्तेमाल करते हैं, इसके लिए चारकोल और नमक दोनो के स्वभावके बारे में समझना होगा। जब नमक मिट्टी की नमी के साथ मिलता है तो ये एक इलेक्ट्रोलाइट की तरह काम करता है जोकि मिट्टी की चालकता (Conductivity) को बढ़ाता है, जिस से मिट्टी में ज्यादा करंट बहने लगता है।
तो नामक के कारण चालकता (Conductivity) बढ़ जाती है तो चारकोल का क्या काम होता है, तो देखिए हमें सिर्फ मिट्टी की चालकता को बढ़ाना ही नहीं होता है हमें मिट्टी की चालकता को आगे तक मेंटेन यानी बना के भी रखना होता है जिसके लिए हमें चारकोल की जरूरत होती है।
चारकोल का ज्यादातर हिस्सा कार्बन से बना होता है और कार्बन इलेक्ट्रिसिटी का बहुत ही अच्छा चालक होता है। तो ऐसे में नमक इलेक्ट्रोलाइट का काम करता है और चारकोल एक कंडक्टर की तरह काम करता है, जिस से मिट्टी की चालकता बढ़ जाती है। इस तरह से नामक और चारकोल दोनों मिलके अर्थ रेजिस्टेंस को एक लेवल पर मेंटेन करने में हमारी सहायता करते हैं।
अर्थिंग पिट बनाते समय हम नमक और चारकोल का इस्तेमाल करते हैं और उसके बाद हम समय समय पे अर्थिंग पिट में पानी और नामक का घोल डालते रहते हैं ताकि मिट्टी की नमी कम ना होने पाए।
निष्कर्ष
तो जैसा कि हमने इस पोस्ट में बताया है इसको पढ़के आप समझ गए होगे कि हम प्रतिरोध को कम करके चालकता को बढ़ाने के लिए अर्थिंग पिट में नमक और चारकोल डालते हैं।
तो उम्मीद है आपको why use charcoal and salt for earthing, why salt and charcoal is used in earthing, why are salt and charcoal added in earthing pit, why we use salt and charcoal in earthing, why charcoal and salt is used in earthing, charcoal and salt for earthing, से जुड़ी हुई पोस्ट आपको पसंद आई होगी।
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