kW and kVA difference in Hindi | Difference Between kW and kVA
kW and kVA difference in Hindi – kW और kVA में क्या अंतर है kW और kVA का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के मन में बहुत सारी कन्फ्यूजन हो जाती है। जैसे कि हम बात करें Generator या फिर Transformer की तो इनकी रेटिंग kVA में होती है। और हम बात करें मोटर की तो उसकी रेटिंग kW में होती है। तो ऐसे में बहुत सारे लोगों के मन में कंफ्यूजन रहती है, कि kW और kVA क्या होते हैं। और इन दोनों में अंतर क्या होता है।
तो चलिए आपको बताते हैं kW और kVA में क्या-क्या अंतर होता है। सबसे पहले हम kW और kVA इन दोनों को समझ लेते हैं कि आखिर kW और kVA होते क्या हैं। kW और kVA के बारे में सबसे पहले आपको एक बात ध्यान में रखनी है कि kW और kVA यह दोनों ही पावर होती हैं।
Difference Between kW and kVA
तो अब समझते हैं ये दोनों पावर अलग-अलग कैसे हैं। इसको समझने के लिए हम एक उदाहरण लेते हैं, मान लेते हैं हमारे पास एक सिंगल फेस की मोटर है और इस मोटर को चलाने के लिए हम इसके साथ फेस और न्यूट्रल को कनेक्ट करेंगे, मोटर के साथ फेस और न्यूट्रल को जोड़ेंगे तो इसका मतलब यह हुआ कि हम इलेक्ट्रिकल पावर को हम मोटर के अंदर भेज रहे हैं। तो असल में हमने इसके अंदर जितनी पावर भेजी है उसको हम kVA कहेंगे इसको हम टोटल पावर भी कहते हैं।
और यह इलेक्ट्रिकल पावर देने के बाद मोटर ने कितनी पावर का इस्तेमाल किया उसको रियल पावर या फिर True Power कहते हैं। आपको एक बार फिर बता दें जितनी पावर हमने मोटर को दी वह kVA होगी और जितनी पावर मोटर ने इस्तेमाल की उसको हम kW कहेंगे।
क्योंकि कोई भी मशीन हुई चाहे वह मोटर है या फिर कुछ और उसमें हम जितनी भी पावर देते हैं वह पूरी की पूरी पावर का इस्तेमाल नहीं करते हैं, उसमें कुछ ना कुछ लॉस जरूर होते हैं। इसको आप कुछ यूं समझ सकते हैं कि उस मशीन में इनपुट पावर का कुछ ना कुछ हिस्सा वेस्ट हो ही जाता है।
इसको थोड़ा और आसानी से समझाने की कोशिश करते हैं। जब भी हम इनपुट सप्लाई किसी भी मशीन के साथ जोड़ते हैं, तो हम उस में पावर भेजते हैं। पावर का मतलब हम उसमें Voltage और Current यह दो चीजें उसके अंदर भेजते हैं। तो Voltage और Current मशीन में देने के बाद जो हमारी पावर बनती है उसको हम kVA कहते हैं।
जिसको हम इस तरह से देख सकते हैं :- V×I = VA
यहांपे K का इस्तेमाल वैल्यू हज़ार से ऊपर जाने पे किया जाता है।
तो जैसा की अभी हमने बताया हमने मोटर के अंदर Voltage और Current दो चीजें इनपुट सप्लाई के द्वारा दी है, तो उसके बाद जब हम मोटर में कुछ ना कुछ लॉस होता है या वह एनर्जी वेस्ट करती है तो kW के लिए वहां पर वह वेस्ट पावर भी हमें मल्टीप्लाई करनी पड़ती है। और उस वेस्ट पावर को ही हम पावर फैक्टर कहते हैं। आप इसको इस तरह से भी समझ सकते हैं कि kW के अंदर पावर फैक्टर इंक्लूड होता है,
और kVA के अंदर पावर फैक्टर नहीं होता। तो हम Voltage और Current को मल्टीप्लाई करते हैं तो हमारे सामने kVA की वैल्यू निकल कर आ जाती है। और इसी प्रकार से kW की वैल्यू हमें निकालनी हो तो हमें Voltage और Current के साथ-साथ पावर फैक्टर को भी मल्टीप्लाई करना होता है :-
V×I×pf = W
यहांपे भी K का इस्तेमाल वैल्यू हज़ार से ऊपर जाने पे किया जाता है।
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साथ ही अगर आप से पूछ लिया जाए कि kW और kVA में रेटिंग किस मशीन की होती है, तो सीधा और सिंपल जवाब आपके पास होना चाहिए कि जो हमारी मशीन आउटपुट में इलेक्ट्रिकल एनर्जी पैदा करके देती है उसकी रेटिंग kVA में होती है, जैसे कि ट्रांसफार्मर और जनरेटर जो आउटपुट में इलेक्ट्रिकल एनर्जी देते हैं तो उनकी रेटिंग kVA में होती है। इसी प्रकार से kW में रेटिंग उस मशीन की होगी जो मशीन इनपुट में इलेक्ट्रिकल एनर्जी ले रही है, और आउटपुट में एनर्जी इलेक्ट्रिकल फॉर्म में नहीं बल्कि मैकेनिकल, हीटिंग या किसी और रूप में ही निकाल रही हो।
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हम आपको बता दें जो भी मशीन आउटपुट में इलेक्ट्रिकल एनर्जी दे रही है, उसकी रेटिंग kVA में क्यों होती है। इसके लिए हमें पहले ये समझना होगा कि लोड जो हम उसके साथ कनेक्ट करेंगे वह अलग अलग प्रकार का होता है, जैसे कि आपने पहले पढ़ा होगा कि लोड तीन प्रकार के होते हैं :-
- रेजिस्टिव
- कैपेसिटी
- इंडक्टिव
तो ऐसे में जब किसी भी प्रकार का लोड उस मशीन के साथ जोड़ा जाता है तो सभी लोड में लॉस अलग-अलग होते हैं। यानी कि जो तीनों लोड होते हैं उन तीनों लोड में लॉस एक जैसे नहीं होते तीनों में अलग-अलग तरह के लॉस होते हैं। किसी में कम लॉस होगा, किसी में ज्यादा लॉस होगा तो किसी में ना के बराबर लॉस होगा।
इसी वजह से जिस उपकरण से आउटपुट में हमें इलेक्ट्रिकल एनर्जी मिल रही है उसकी रेटिंग हमेशा kVA में ही होती है। क्योंकि उसके साथ किसी भी प्रकार का लोड जोड़ा जा सकता है। जिसके कारण उसमें वेस्ट होने वाली एलर्जी कम या ज्यादा हो सकती है। इसी कारण से ट्रांसफार्मर और जनरेटर जैसी मशीनों की रेटिंग kVA में दी जाती है।
kW to kVA
जैसा कि हमने पहले ही आपको बताया था kW निकालने के लिए आपको वोल्टेज, करंट और पावर फैक्टर को गुणा करना पड़ेगा। लेकिन kVA के लिए आपको सिर्फ वोल्टेज और करंट ही मल्टीप्लाई करना पड़ता है। तो ऐसे ही अगर हमें किलोवाट से केवीए निकालना है, तो हमें वापस से पावर फैक्टर के साथ किलोवाट को भाग कर देना है तो जो वैल्यू आएगी वह केवीए की वैल्यू आ जायेगी।
जैसे :- kW/pf = kVA
इसी प्रकार से अगर आपको केवीए से किलोवाट निकलना है तो बिल्कुल इसका उल्टा करने पे जैसे केवीए की जो वैल्यू है उसको पावर फैक्टर से मल्टिप्लाई कर देना है। पावर फैक्टर से मल्टीप्लाई कर देने के बाद किलोवाट की वैल्यू निकल आएगी।
जैसे :- kVA×pf = kW
निष्कर्ष
सबसे आसान भाषा में अब आपको बताते हैं, अगर आप से कहीं इंटरव्यू में यह सवाल पूछ लिया जाए या कहीं किसी कंपटीशन में आपसे यह सवाल पूछा जाए कि किलोवाट और केवीए में क्या अंतर होता है, तो आपको सिंपल एक लाइन में इसका अंतर जवाब देना है कि
- “डिफरेंस बिटवीन किलोवाट एंड केवीए इज पावर फैक्ट” यानी के किलोवाट और केवीए के बीच का अंतर पावर फैक्टर होता है।
- किलोवाट के लिए आप कह सकते हैं “किलोवाट इज रियल पावर ओर ट्रू पावर”
- और केवीए के लिए आप बोल सकते हैं “केवीए इज टोटल पावर”
तो इस पोस्ट से आपको बहुत सारी जानकारी मिली होगी। उम्मीद है आपको kw and kva difference in hindi, kva and kw difference in hindi, kva kya hota hai, difference between kva and kw in hindi, difference between kw and kva in hindi, difference between kva and kw, difference between kw and kva, से जुड़ी पोस्ट पसंद आई होगी। अगर पोस्ट पसंद आई है तो कमेंट मर बता सकए हैं, और शेयर कर सकते हैं। साथ ही अगर आपने हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।
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Thanks for samjhane ke liye
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