इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं Neutral, Earthing और Grounding के बारे में। आखिर यह तीनों क्या होते हैं, और इन तीनों में क्या-क्या अंतर होता है। लेकिन इन तीनों के बारे में जानने से पहले आपको फेस के बारे में पता होना चाहिए, कि फेस क्या होता है। क्योंकि यह तीनों ही फेस से जुड़े होते हैं। इन तीनों का ही रिलेशन फेस के साथ होता है। बिना फेस के Neutral, Earthing और Grounding का भी कोई इस्तेमाल नहीं होता। तो चलिए शुरू करते हैं अपनी इस पोस्ट को और एक-एक करके जानते हैं, Neutral, Earthing और Grounding के बारे में।
इनके लिए हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि फेस क्या होता है, और फेस आता कहां से है। तो Electricity जेनरेटिंग स्टेशन हम जरनेटर और अल्टरनेटर की सहायता से Electricity को पैदा करते हैं। वहां पर 11kV की Electricity पैदा होती है। और यहां पर आप जानते ही होंगे जब Electricity जनरेट की जाती है, वह तीन फेस में होती है। उसके बाद यह जो 11kV Electricity हमने यहां पर पैदा की है, उसके बाद 1 Step Up Transformer के द्वारा Step Up करके 440kV तक ले जाया जाता है।
क्योंकि अगर हमने ज्यादा दूर तक Electricity का ट्रांसमिशन करना है, तो High Voltage के कारण वोल्टेज ड्रॉप बहुत ही कम होगा, जिससे ट्रांसमिशन लॉस बहुत कम होंगे। और Electricity को दूर-दूर तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है। तो इसी कारण हमें Electricity को Step Up करने की जरूरत पड़ती है। यहां Transformer से 3-wire निकलते दिखाई देगें, तो इसका मतलब ये हुआ यहां पर Transformer के जो कनेक्शन होंगे वह डेल्टा में ही कनेक्ट होंगे। Power Transformer की प्राइमरी और सेकंडरी दोनों ही वाइंडिंग के कनेक्शन डेल्टा में होते हैं।
Neutral क्या होता है?
Power Transformer से Step Up होने के बाद Electricity ट्रांसमिशन के बाद Distribution या पावर हाउस पर Electricity को जो कि 220 से 440kV तक होती है, उसको step-down किया जाता है। ऐसी जगह पर ज्यादातर Distribution Transformer ही लगे होते हैं। तो हम आपको बता दें जो Distribution Transformer होते हैं, उनकी Primary Winding डेल्टा में जुड़ी होती है, और Secondary Winding स्टार में जुड़ी होती है, और इसी कारण Distribution Transformer की Secondary Winding पर चार टर्मिनल होते हैं।
Distribution Transformer की जो Secondary Winding को स्टार में इसीलिए जोड़ा जाता है, क्योंकि हमें Neutral की जरूरत पड़ती है। और जो Neutral निकलता है वही इसमें चौथा तार होता है। क्योंकि Distribution में ज्यादातर सिंगल फेस का ही इस्तेमाल किया जाता है। तो सिंगल फेस का इस्तेमाल करने के लिए हमें Neutral की जरूरत पड़ती है। फैक्ट्री या इंडस्ट्री हो तो उसमें ज्यादातर मोटर चलती है जो कि 3 फेस के ऊपर काम करती है। तो इसलिए वहां पर Neutral की कुछ खास जरूरत नहीं पड़ती।
अब Neutral पॉइंट निकालने के लिए Secondary Winding जो लौ वोल्टेज वाइंडिंग कहलाती है, उसको स्टार में कनेक्ट किया जाता है। जबकि Primary Winding डेल्टा में जोड़ी जाती हैं। इसके कारण ही Primary साइड सिर्फ तीन पॉइंट होते हैं, और Secondary साइड चार पॉइंट होते हैं। अब यहां से Neutral निकलने के बाद सीधा हमारे घरों में दो तार आते हैं। जिसमें से एक फेस होता है और एक Neutral होता है। अब Neutral का घर में काम क्या होता है, या इसकी जरूरत ही कई पड़ती हैं? तो आपको अगर सीधी-सीधी एक लाइन में इसका जवाब दें तो Neutral का काम सिर्फ सर्किट को पूरा करवाना है। यानी कि जो फेस घर पे आया है उसके सर्किट को पूरा करवाने का काम Neutral का होता है।
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सर्किट पूरा होने पर ही घर में जो भी उपकरण होते हैं जैसे बल्ब, पंखे आदि वह काम कर पाएंगे। अगर बिना Neutral के ये सभी उपकरण काम नहीं कर पाएंगे। क्योंकि सिर्फ एक फेज वाला तार होने की वजह से सर्किट कंप्लीट नहीं हो पाएगा। और किसी भी काम इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट को काम करने के लिए सर्किट कंप्लीट होना बहुत ही जरूरी है। चाहे वह उपकरण सिंगल, डबल या थ्री फेस पे ही क्यों ना काम कर रहा हो। डबल या थ्री फेस में दूसरे फेज द्वारा ही सर्किट पूरा हो पाता है, लेकिन सिंगल फेज में Neutral द्वारा ही सर्किट कंप्लीट हो पाता है।
Earthing क्या होती है?
Earthing के बारे में आपने पहले भी काफी नर सुना होगा कि Earthing क्या होती है। Earthing लाइव वायर के साथ कनेक्ट नहीं होती। Earthing वायर को हम सिर्फ सुरक्षा के लिए ही इस्तेमाल करते हैं। Earthing के ऊपर हमने एक वीडियो बनाया है, जिसमें आप यह समझ सकते हैं कि जो Earthing हमने घर या ऑफिस पर की है, वह सही है या नहीं। Earthing को चेक कैसे किया जाता है, उसके कितने तरीके होते हैं तो इसके लिए आप हमारी इस वीडियो को देख सकते हैं।
Earthing में कोई भी ऐसा तार नहीं जोड़ा जाता, जिसमें लगातार किसी भी प्रकार से वोल्टेज या करंट का फ्लो होता रहे। इसका इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ सेफ्टी प्रोवाइड करने करवाने के लिए ही होता है। मान लीजिए आपके घर या ऑफिस में कोई भी उपकरण जो आप इस्तेमाल कर रहे हैं, उसमें किसी भी कारणवश करंट आ जाता है। और हमने अगर उस इक्विपमेंट को Earthing से कनेक्ट किया है, तो वह सारा का सारा करंट Earthing से सीधा जमीन में चला जाएगा। जिससे उपकरण और उस उपकरण को चलाने वाला इंसान दोनों ही करंट ले खतरे से बच जाएंगे।
Earthing को आप दो तरीके से समझ सकते हैं, एक Earthing जो हम Earthing पिट में अर्थ इलेक्ट्रोड डाल के करते हैं, और फिर उसकी तार को घर या ऑफिस में वायरिंग के साथ डाल देते हैं। और एक Earthing उपकरणों में की जाती है। ज्यादातर उपकरणों में 3 तार लगी होती हैं। एक Phase एक Neutral और एक Earthing के लिए होती है। और उपकरण की थ्री पिन सॉकेट में लगी सबसे मोटी वाली पिन उसके द्वारा उपकरण मुख्य Earthing के साथ जुड़ जाता है।
इसके बाद अगर उस उपकरण में किसी भी कारण करंट आता है, तो वह सीधा अर्थ वायर के रास्ते जो सीधा जमीन में चला जाएगा और जो भी हमारा उपकरण होता है, उसमें जो अर्थ वाला वायर उसकी बॉडी के साथ टच किया जाता है। यानी के उपकरण के जिस हिस्से में नॉर्मल हालत में करंट नहीं बहता है, उस हिस्से पे ही अर्थ वायर को कनेक्ट किया जाता है। ताकि कभी भी उपकरण में करंट आ भी गया तो वह सीधा अर्थ वायर के सहारे हमारी जमीन में चला जायेगा।
इसके साथ अर्थिंग में एक बात ध्यान रखने वाली और होती है। Earthing के लिए हमने जमीन में जो Earth Electrode दबाया है उसकी रजिस्टेंस की वैल्यू सबसे ज्यादा मायने रखती है। उसके रजिस्टेंस की वैल्यू बहुत ही कम होनी चाहिए।। अगर उसकी वैल्यू ज्यादा है तो फिर उस Earthing का कोई फायदा नहीं होगा। Earthing के रेसिस्टेन्स की वैल्यू ज्यादा से ज्यादा 5 ohm तक होती है। 5 ohm से ज्यादा कहीं पर भी नहीं होनी चाहिए। और जो सिस्टम हम यूज करते हैं, Earthing की वैल्यू भी उसी के हिसाब से ही होनी चाहिए। जैसे UPS या Server के जैसी चीजों के लिए ये वैल्यू 0.5 ohm तक ही होनी चाहिए।
क्योंकि मान लीजिए अगर गलती से किसी भी उपकरण में अगर करंट आ जाता है और हम उसको करण को ऑपरेट कर रहे हैं उस को छू रहे हैं तो ऐसे में हमें करंट लग सकता है। साथ हिओ उपकरण भी खराब हो सकता है। अब Earthing का रेसिस्टेन्स इंसान की बॉडी और उपकरण से कम होगा तो, करंट के कारण किसी को भी नुकसान नही पहुचेगा। तो इसी कारण से Earthing का रजिस्टेंस कम रखा जाता है। इसका कारण आपको पता होगा, जो करंट होता है वह सिर्फ Low Resistance Path को ही चुनता है।
Grounding क्या होती है।
Grounding ऐसे तार या फिर हिस्से की की जाती है, जिसमें करंट का फ्लो हो रहा होता है। अब Grounding भी Earthing की तरह जमीन में ही की जाती है। जिस तरीके से हम Earthing करते हैं उसी तरीके से Grounding भी होती है। इन दोनों में कुछ ज्यादा अंतर होता भी नहीं, इनमें एक बहुत ही छोटा अंतर होता है, लेकिन यह अंतर ही मुख्य होता है।
हम सीधे सीधे इसको इस बात से समझ सकते हैं कि जो नॉरमल कंडीशन में Earthing के अंदर कोई भी करंट नहीं होता है। जबकि Grounding में नॉरमल कंडीशन के अंदर भी करंट का फ्लो होता है। इसका इस्तेमाल हम ज्यादातरपावर Transformer में करते हैं। Substation के अंदर जो Transformer होते हैं, उनके Neutral को ग्राउंड किया जाता है, उसी को ही Grounding कहते हैं। अब Substation के अंदर जो Transformer के Neutral को ग्राउंड क्यों किया जाता है, तो इसके लिए भी हमने एक वीडियो बनाया है जिसको आप नीचे देख सकते हैं।
तो उम्मीद है आपको यह टॉपिक समझ में आ गया होगा इससे जुड़े अगर आपके कोई भी सवाल है, तो आप कमेंट में पूछ सकते हैं। इससे अलग आप यह जानना चाहते हैं 3 फेज unbalance लोड को कैसे कैलकुलेट किया जाता है तो इसके लिए आप हमारे राइट वाले वीडियो को देख सकते हैं और अगर आप यह जाना चाहते हैं कि हम सिंगल फेस के द्वारा 3 फेस की मोटर को किस तरीके से चला सकते हैं तो इसके लिए आप लेफ्ट वाली वीडियो देख सकते हैं
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