इस पोस्ट में हम DG Operator की जिम्मेदारियों बात करने वाले हैं कि DG Operator का क्या-क्या काम होता है। कैसे उसे अपना काम करना होता है। कब-कब DG Operator को ट्रांसफार्मर या फिर DG की रीडिंग लेनी होती हैं। कौन-कौन सी रिपोर्ट या Log Book DG Operator को भरनी पड़ती है। DG की सर्विस कौन-कौन सी और कब करनी पड़ती है। यह सब हम आज इस पोस्ट में जानने वाले हैं।
Handover-Takeover
तो जैसे कि आप जानते हो कहीं पर भी नौकरी करते हैं, तो ज्यादातर तक जगह पर ड्यूटी शिफ्ट के हिसाब से चलती है, जैसे जनरल या फिर ABC, लेकिन लगभग सभी शिफ्टों में काम एक जैसे ही करना पड़ता है। DG Operator जब अपनी ड्यूटी पर आता है तो सबसे पहले यहां पर Handover-Takeover का काम होता है। यानी पिछली शिफ्ट वाला DG Operator, आपको Handover करके जाएगा, कि मेरी शिफ्ट में क्या कुछ काम हुआ है। जैसे कि DG चला है कि नहीं चला, कितने डीजल की खपत हुई है, आदि जो भी उसकी पूरी जानकारी होगी, वह सब आपको Handover करेगा।
उसके बाद आप उस काम को चेक करेगें कि पिछली शिफ्ट में जो भी काम हुआ है, वह सही तरीके से हुआ है या नहीं। जो रीडिंग्स ली गई है वो समय से और सही से ली गई है या नहीं। फिर उसी के हिसाब से आपको आगे की अपनी शिफ्ट को जारी रखना है। इन सब में भी जो मुख्य काम होता है, वह DG Operator द्वारा डे टैंक में डीजल को चेक करना है कि जो Log Book में डीजल दिखाया गया है उतना ही डीजल टैंक में है या नहीं है। उसके बाद ये भी देखना है डे टैंक में डीजल जितना हिना चाहिए उतना ही है कही कम तो नही, अगर टैंक में डीजल कम है तो टैंक में डीजल डालना होगा।
रिपोर्ट तैयार करना
उसके बाद DG Operator को रिपोर्ट तैयार करनी पड़ती है, कि पिछले 24 घंटे में जो रीडिंग है, चाहे वह kwh मीटर की रीडिंग हो या फिर डीजल की रीडिंग, सब की एक रिपोर्ट तैयार करनी पड़ती है। कि डीजल जनरेटर चला है तो कितनी देर चला है। उसने कितने kwh निकाले हैं, और कितना डीजल खप्त किया है। अब हमारे जितने भी kwh मीटर हैं, उन्होंने कितनी रीडिंग निकाली है उन सब को फाइनल करके एक रिपोर्ट तैयार करनी होती है।
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System चेक करनाउसके बाद हमारे पैनल में कोई दिक्कत तो नहीं है। सब सारा सिस्टम सही से काम कर रहा है या नहीं कर रहा है। कोई सिस्टम सही से काम नहीं कर रहा तो कौन सी शिफ्ट में क्या दिक्कत आई, यह सभी चीजें हमें अपनी हर रोज वाली रिपोर्ट में भरनी होती है। और वो रिपोर्ट हमे अपने सीनियर के पास पहुँचानी होती है। ताकि हमारी तरफ से जितनी भी दिक्कतें है या जो भी काम हमने किया है वह सारा हमसे ऊपरी स्तर पर पहुंच सके। इस रिपोर्ट को हम DMR कह सकते हैं। कही कही इसकव MIS रिपोर्ट भी बोल देते हैं। वह जगह के हिसाब से अलग अलग हो जाता कि कहां पर रिपोर्ट का क्या नाम दिया गया है।
A-Check
उसके बाद फिर DG Operator का जो काम होता है वह ये देखने का होता है कि जो भी हमारे DG सेट लगे हुए हैं, उनका A-Check करना होता है, DG का जो SOP होता है, उसके हिसाब से ही DG Operator को A-Check करना होता है। DG के A-Check में क्या क्या करते हैं इसके लिए आप हमारी इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं:-
DG Log Book
एक DG Operator को कौन-कौन से Log Book भरनी होती हैं?
DG A-Check Log Book
इस Log Book में हम हर रोज होने वाले A-Check के बारे में जानकारी भरते हैं कि DG में सब सही है या नही।
DG Running Log Book
सामान्य तौर पर जो DG की Log Book होती है उसमें कितनी देर DG चला है, कितना kwh जनरेट हुआ है, और कितने डीजल की खपत हुई है यह सब जानकारियां Log Book के अंदर भरी जाती हैं। इसका उदहारण नीचे देख सकते हैं।
LT Panel Log Book
एक Log Book ट्रांसफार्मर या LT पैनल के लिए होती है, जिसमें हर घंटे LT का जो मुख्य मीटर होता है उसकी रीडिंग भरी जाती है। इसका उदहारण नीचे देख सकते हैं।
HT Panel Log Book
एक Log Book HT पैनल के लिए होती है, जिसमें HT के मुख्य मीटर की रीडिंग भरी जाती है।
Shift Handover Register
यह भी हमने जो Log Books दिखाई है, इससे अलग भी हमें एक रिपोर्ट भरनी होती है। जिसको हम शिफ्ट हैंडओवर रजिस्टर या फिर रिपोर्ट भी कह सकते हैं। यह सभी शिफ्ट में आने वाले DG Operator को भरनी जरूरी होती है। इसमें जो भी काम DG Operator करता है, वह सारा का सारा इसके अंदर भरना होता है। कोई भी एक्टिविटी, एक्सीडेंट या कोई भी एक्स्ट्रा वर्क अगर किसी ऑपरेटर ने किया है वह सारा का सारा कर्म की हिसाब से इसके अंदर लिखा जाना चाहिए। अगर कोई काम अधूरा रह जाता है या DG ऑपरेटर अपनी शिफ्ट में नहीं कर पाता है, तो उसको पेंडिंग वर्क में डालकर अगली शिफ्ट वाले ऑपरेटर को हैंड ओवर करना होता है।
Practical Knowledge
ऊपर बताए गए डॉक्यूमेंटेशन वर्क के अलावा DG Operator को जो अपना सिस्टम है उसके बारे में भी जानकारी होनी चाहिए, कि DG अगर सही से काम नहीं कर रहा है तो उसमें क्या दिक्कत हो सकती है। जो फॉल्ट डिस्प्ले पर दिख रहा है उसमें क्या खराब हो सकती है, साथ ही उस खराबी को कैसे ढूंढ के ठीक किया जा सकता है। यह सब DG Operator को पता होना चाहिए।
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इससे अलग जितने भी सर्किट ब्रेकर लगे होते हैं, उन सब सर्किट ब्रेकर के बारे में भी DG Operator को जानकारी होनी चाहिए, कि इन सर्किट ब्रेकर को कैसे ऑपरेट किया जाता है। कैसे इनको जरूरत पड़ने पर बाईपास किया जा सकता है, और इनमें कौन कौन सी रिले और सेफ्टी लगी रहती है ये सब जानकारी DG Operator को पता होनी चाहिये।
कौन सी शिफ्ट का क्या काम होना है यह सब एक DG Operator को पहले से ही पता होना चाहिए। इसके अलावा DG की सर्विस कब होनी है, उसके A-B-C-D चेक कब होने हैं। जो Circuit ब्रेकर है उनकी सर्विस कब होनी है। यह सब जानकारियां भी मैनेजमेंट को DG Operator द्वारा ही दी जाती है।
तो यह थी छोटी सी जानकारी की DG Operator की क्या-क्या जिम्मेदारियां होती है। अगर इस जानकारी से जुड़ा आपका कोई भी सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं। अगर पोस्ट पसंद आई है तो इसको आप अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते हैं। और इलेक्ट्रिकल से जुड़े हुए वीडियो देखने के लिए आप हमारे यूट्यूब चैनल को विजिट कर सकते हैं।
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