Why Transformer Rating in kva
Why transformer rating in kva – इस पोस्ट में हम बात करेंगे कि मोटर की रेटिंग हमेशा किलोवाट में होती है जबकि ट्रांसफार्मर की रेटिंग kva में क्यों होती है, तो ट्रांसफार्मर की रेटिंग किलोवाट (kw) में क्यों नहीं होती। ये एक ऐसा टॉपिक है जोकि बहुत इंपोर्टेंट है और अक्सर इंटरव्यू में हमसे इसके बारे में पूछ लिया जाता है। ट्रांसफार्मर और मोटर इलेक्ट्रिकल सिस्टम के बहुत महत्वपूर्ण पार्ट होते हैं, तो हमें पता होना चाहिए कि ट्रांसफार्मर की रेटिंग kVa में और मोटर की रेटिंग किलोवाट (kW) में क्यों होती है।
ट्रांसफार्मर की रेटिंग kVa में और मोटर की रेटिंग किलोवाट (kW) में क्यों होती है
अब ट्रांसफार्मर की रेटिंग kVa में और मोटर की रेटिंग किलोवाट (kW) में क्यों होती है इसका जवाब बहुत ही ज्यादा सिंपल है। लेकिन ज्यादातर जगह इसको बहुत ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड करके बताया जाता है। साथ ही अधिकतर लोग तो इस सवाल का जवाब ही गलत देते हैं। तो ज्यादातर लोगों के अनुसार जो ट्रांसफॉर्मर होता है इसकी रेटिंग केवीए में इस वजह से होती है, क्योंकि ट्रांसफॉर्मर के अंदर दो तरीके के लॉस होते हैं। ये लॉस कॉपर लॉस और आयरन लॉस होते हैं।
अब इसमें जो कॉपर लॉस होता है वो ट्रांसफॉर्मर में फ्लो होने वाले करंट के अनुसार कम या ज्यादा होता है। इसी वजह से ट्रांसफॉर्मर की रेटिंग केवीए में होती है। लेकिन ये जवाब पूरी तरीके से गलत है। क्योंकि जिस तरीके का जवाब दिया जा रहा है कि ट्रांसफॉर्मर में कॉपर लॉस और आयरन लॉ हो रहे हैं, तो इसी तरीके के लॉस मोटर में भी देखने को मिलेंगे। यानी मोटर में भी आपके कॉपर लॉस और आयरन लॉस होता है।
तो अब इस सवाल का सही जवाब जो है वो बहुत ज्यादा सिंपल है। अगर डायरेक्ट एक लाइन में ही इसका जवाब दिया जाए तो कोई भी ऐसी मशीन या कोई भी ऐसा उपकरण जो आउटपुट में इलेक्ट्रिकल सप्लाई देता है उस उपकरण की रेटिंग कभी भी किलोवाट में नहीं होती। ऐसे उपकरणों की रेटिंग या तो सिर्फ आपको एंपियर में देखने को मिलेगी या फिर आपको केवीए के अंदर देखने को मिलेगी।
कौन-कौन से उपकरणों की रेटिंग केवीए में होती है?
अब यहां पे आप ट्रांसफॉर्मर को देख सकते हो, ट्रांसफॉर्मर के आउटपुट में हमें इलेक्ट्रिकल पावर सप्लाई मिलती है। इसके अलावा आप डीजी की बात करो डीजी की रेटिंग भी हमेशा केवीए में होती है, तो डीजी के आउटपुट से भी हमें हमेशा हमें इलेक्ट्रिकल सप्लाई ही मिलती है। तो डीजी की रेटिंग भी हमेशा केवीए में देखने को मिलती है।
इनके अलावा अन्य उपकरणों की बात की जाए तो किसी सर्किट ब्रेकर, या किसी बैटरी की बात करो तो ऐसे जितने भी डिवाइस होते हैं अगर उनके आउटपुट से हमें इलेक्ट्रिकल सप्लाई मिलेगी तो ध्यान रखिए उसकी रेटिंग कभी भी किलोवाट में नहीं हो सकती। यहां पे उन सभी की रेटिंग हमेशा या तो केवीए में होगी या फिर उसकी रेटिंग सिर्फ एंपियर में होगी।
ट्रांसफार्मर की रेटिंग kva में क्यों होती है किलोवाट (kw) में क्यों नहीं?
जब बात आती है ट्रांसफॉर्मर या डीजी की तो इनकी रेटिंग हमेशा केवीए में दी जाती है। अब आखिरकार ऐसा क्यों है कि जो भी उपकरण हमें आउटपुट में इलेक्ट्रिकल की सप्लाई दे रहे हैं, उनकी रेटिंग केवीए में क्यों है? तो देखिए इस सवाल का जवाब भी काफी ज्यादा सिंपल सा है आप में से मैक्सिमम लोग जानते भी होंगे कि हमारा जो इलेक्ट्रिकल के उपकरण बनते हैं चाहे आप मोटर की बात करो, सीलिंग फैन की बात करो या फिर किसी हीटर या मिक्सर ग्राइंडर की बात करो तो जितने भी इलेक्ट्रिकल के उपकरण है, ये मुख्य तीन चीजों के रेस्पेक्ट में ही काम करते हैं। यानि कि हमारा इलेक्ट्रिकल का जो लोड होता है वो सिर्फ तीन तरीके के ही होते हैं:-
- कैपेसिटिव
- इंडक्टिव
- रेजिस्टिव
कैपेसिटिव
कैपेसिटिव मतलब कि जो भी हमारे कैपेसिटर होते हैं वो सभी उपकरण कैपेसिटिव में आते हैं।
इंडक्टिव
इलेक्ट्रिकल लोड में इंडक्टिव उपकरण जो होते हैं उनमें क्या-क्या हो सकता है, तो इंडक्टिव में वो सभी उपकरण आ जाते हैं जिसके अंदर कॉइल का इस्तेमाल होता है। जैसे कि आप मोटर की बात करो तो मोटर में वाइंडिंग यानि कॉइल होती है।
रेजिस्टिव
अब तीसरे प्रकार के उपकरण की बात करें तो वो हो जाते हैं रेजिस्टिव नेचर वाले। अब ये रेजिस्टिव नेचर का मतलब क्या है, तो रेजिस्टिव नेचर का मतलब सिंपल सा है कि जो भी उपकरण इलेक्ट्रिकल की सप्लाई लेता है, लेकिन आउटपुट में वो गर्मी यानि हीट पैदा करता है उस तरीके के जो भी उपकरण है वो सभी रेजिस्टिव में आते हैं।
ऐसे उपकरणों की बात करे तो उदाहरण में सिंपल हीटर आ जाता है। हीटर में एक तार होता है वो तार धीरे-धीरे गर्म होता है और गर्म होके ही इलेक्ट्रिसिटी को खर्च करता है। पहले के जो 100 वाट या 60 वाट के इनकंसेंट लैंप आते थे उसके अंदर टंगस्टन का जो वायर होता है वो हीट होता था जिससे रोशनी होती थी तो इस तरीके के जो भी डिवाइस है ये सब रेजिस्टिव लोड में आते हैं।
तो आपको एक बात पता है हमारे इलेक्ट्रिकल के जितने भी लोड होते हैं वो मुख्य तीन टाइप के ही होते हैं। अब यहां पर एक बात ध्यान ये रखिए कि ये जो तीनों टाइप के लोड है इन तीनों टाइप के लोड का जो पावर फैक्टर होता है वो डिफरेंट डिफरेंट टाइप का होता है। कैपेसिटिव लोड का पावर फैक्टर अलग होगा। इंडक्टिव लोड जैसे मोटर आदि का पावर फैक्टर अलग होता है। और जो लोड रेजिस्टिव नेचर के होते है, इनका पावर फैक्टर अलग होता है।
यह जो इन तीनों ही टाइप के उपकरणो का पावर फैक्टर अलग-अलग टाइप का होता है, इसी एक मुख्य कारण की वजह से ही जो भी ऐसे डिवाइस है जो आउटपुट में इलेक्ट्रिकल की सप्लाई निकाल रहे है उनकी रेटिंग हमेशा केवीए में होती है।
केवीए से किलोवाट कैसे निकालते हैं।
अगर आपके पास में कोई भी उपकरण है जिसकी रेटिंग kva के अंदर है, जैसे मान लीजिए आपके पास में एक ट्रांसफॉर्मर है जिसकी रेटिंग है 1000 केवीए की है। अब अगर बात करें कि इसका किलोवाट क्या है तो आपको किलोवाट निकालने के लिए पावर फैक्टर पता होना ही चाहिए। जैसे मान लीजिए कि ट्रांसफॉर्मर के ऊपर जो लोड जुड़ा हुआ है उसका पावर फैक्टर 0.85 का है। तो इस ट्रांसफॉर्मर की कैपेसिटी 1000 केवीए है। तो इस केवीए को पावर फैक्टर यानी 0.85 से गुणा करो तो यहां पे ट्रांसफार्मर की रेटिंग 850 किलोवाट आ जाएगी।
पावर फेक्टर के कारण ट्रान्स्फ़ोर्मर की रेटिंग केवीए में क्यूँ होती है?
अब इसके पीछे का रीजन सिंपल सा है, जैसे मान लीजिए मैन्युफैक्चर कंपनी ने एक ट्रांसफॉर्मर को बनाया है, अब इस ट्रांसफॉर्मर के आउटपुट से इलेक्ट्रिकल सप्लाई निकलेगी। अब मान लीजिए कि ये जो मैन्युफैक्चर है जो कि इस ट्रांसफॉर्मर को बना रही है ये कंपनी अगर ये सोचती है कि ट्रांसफॉर्मर पे सिर्फ हीटर जैसा रेजिस्टिव लोड ही जोड़ा जाएगा तो यहां पे रेजिस्टिव लोड का जो एवरेज पावर फैक्टर होता है वो 1 होता है, तो 1 पावर के हिसाब से जो ट्रांसफॉर्मर 1000 kva का है उसके अगर kw देखे जायेगे तो वो भी 1000 kw ही होगा।
तो यहां पे कंपनी के द्वारा क्या कहा गया कि ये 1000 किलोवाट का आपका ये ट्रांसफॉर्मर है। अब आप जानते हैं हमारे पास में लोड की रिक्वायरमेंट तो अलग-अलग होती है। तो ऐसे में अगर इस ट्रांसफॉर्मर में मोटर की बजाय हम इंडक्टिव लोड यानी मोटर जोड़ देते हैं, जिसकी रेटिंग 1000 किलोवाट की है। अब मोटर का औसत पावर फैक्टर 0.80 से 0.85 होता है। अब इस केस में ट्रांसफार्मर की जो रेटिंग 1000 किलोवाट है वो गलत हो जाएगी। क्योंकि मोटर का पावर फैक्टर 0.80 है तो यहां ट्रांसफार्मर की रेटिंग सिर्फ 800 किलोवाट ही रह जायेगी। जबकि मोटर हमारी 1000 kw की है तो ये मोटर इस ट्रांसफार्मर पे चल ही नही पाएगी।
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तो यही एक रीजन है कि ट्रांसफार्मर की रेटिंग kva में क्यों होती है किलोवाट (kw) में क्यों नहीं होती। क्योंकि ट्रांसफार्मर बनाने वाले मैन्युफैक्चर को यह नहीं पता कि ट्रांसफार्मर से जो इलेक्ट्रिकल की सप्लाई निकलेगी उसपे जो लोड जुड़ेगा उसका पावर फैक्टर क्या होगा और इसी कारण को ध्यान में रखते ही जो भी ऐसे उपकरण होते हैं, उनकी रेटिंग हमेशा kVa में ही होती है
तो उम्मीद है आपको Why Transformer Rating in kva, ट्रांसफार्मर की रेटिंग kVa में क्यों होती है, why transformer rating in kva not in kw, why transformer rating in kva in hindi, why transformer rating in kva and motor in kw, से जुड़ी हुई पोस्ट आपको पसंद आई होगी। आपको हमारी ये पोस्ट कैसी लगी आप हमें कमेंट में बता सकते हैं या हमसे कांटेक्ट कर सकते हैं। अगर आपको ये पोस्ट ज्ञानवर्धक लगी हो तो दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं। साथ ही हमारे YouTube Channel Electrical Help सब्सक्राइब भी कर सकते हैं।