Diode in Hindi | Diode kya hota hai

Diode in Hindi

इस पोस्ट में हम डायोड के बारे में बात करने वाले हैं। Diode in Hindi, डायोड क्या होता है, डायोड का वर्किंग प्रिंसिपल क्या होता है, डायोड कितने प्रकार के होते हैं, डायोड को कहा कहा पे उपयोग किया जाता है, आदि ये सब हम इस पोस्ट में जानने वाले हैं।

डायोड क्या होता है?

डाइव एक इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट होता है। डायोड का उपयोग बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में किया जाता है। डायोड में करेंट का फ्लो सिर्फ एक दिशा से ही होता है। यानी डायोड फोर्वर्ड बायसिंग में काम करता है। डायोड में कैथोड और एनोड दो पॉइन्ट होते हैं। पॉज़िटिव पॉइंट एनोड होता है और कैथोड को नेगेटिव पॉइंट कहा जाता है। एनोड और कैथोड को पहचानने के लिए डायोड के ऊपर एक सिल्वर कलर की लाइन दी जाती है। जिस तरफ ये लाइन होती है वो डायोड का कैथोड पॉइंट होता है और दूसरा पॉइंट एनोड होता है।

डायोड का उपयोग बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में किया जाता है। जैसे वोल्टेज रेगुलेटर, मॉड्युलेटर, रेक्टिफायर इनके अलावा हमारे जीतने भी टीवी, रेडियो, कैमरा, मोबाइल फ़ोन आदि के सर्किट होते हैं इनमें सब जगह डायोड का उपयोग किया जाता है।

वर्किंग ऑफ डायोड

डायोड के लिए हमें DC यानी डायरेक्ट करंट की जरूरत होती है। जब डायोड के दोनों पॉइंट के ऊपर DC सप्लाई कनेक्ट करके उसको पावर दी जाती है, तो इस प्रक्रिया को बायसिंग कहते हैं। सर्किट में डायोड को दो तरह से उपयोग किया जाता है। इनमें से एक फॉर्वर्ड बॉयस और दूसरा रिवर्स बायस होता है।

फॉर्वर्ड बायसिंग

अगर डायोड के कैथोड पॉइंट पर इलेक्ट्रिसिटी का नेगेटिव पॉइंट जोड़ा जाता है और एनोड को पॉज़िटिव से जोड़ा जाता है तो डायोड के अंदर करंट फ्लो करने लग जाता है। इसको फॉर्वर्ड बायस कहा जाता है।

रिवर्स बायसिंग

डायोड के कैथोड पॉइंट पर इलेक्ट्रिसिटी का +ve पॉइंट जोड़ा जाता है, और एनोड को -ve से जोड़ा जाता है तो डायोड के अंदर करंट फ्लो नही करता है। इसको रिवर्स बायस कहा जाता है। कुछ डायोड में रिवर्स बायसिंग में वोल्टेज के ब्रेक आउट के बाद रिवर्स बायस में भी करंट का फ्लो होने लगता है।

डायोड कितने प्रकार के होते हैं

  • ज़िनर डायोड – Zener diode
  • LED – लाइट एमिटिंग डायोड
  • कॉन्स्टेंट करंट डायोड – Constant-current diode
  • ऐवलैन्च डायोड – Avalanche diode
  • फोटो डायोड – Photodiode
  • PN जंक्शन डायोड

अब एक एक करके हम इन सभी डायोड के बारे में देख लेते हैं, कि किस प्रकार का डायोड कहा पे उपयोग होता है, और किस तरह से काम करता है।




ज़िनर डायोड – Zener diode

ज़िनर डायोड का उपयोग सर्ज वोल्टेज यानी एकदम से आने वाले अधिक वोल्टेज से बचने के लिए किया जाता है। या यूं भी कह सकते हैं, कि वोल्टेज को एक लिमिट में रखने के लिए ज़िनर डायोड का उपयोग किया जाता है। ये करंट को सिर्फ एक दिशा में अपने अंदर से फ्लो करके आगे जाने देता है।

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ज़िनर डायोड – Zener diode

लेकिन अगर वोल्टेज का ब्रेकडाउन होता है, तो ऐसी स्थिति में ज़िनर डायोड से उल्टी दिशा में भी करंट फ्लो करने लगता है। यानी वोल्टेज का ब्रेकडाउन होने के बाद ज़िनर डायोड रिवर्स बायस में भी काम करता है

LED – लाइट एमिटिंग डायोड

जैसा कि इसके नाम से ही पता लग रहा है, ये एक प्रकाश उत्त्पन करने वाला डायोड होता है। ये एक ऐसा डायोड होता है जिसके दोनों पॉइंट यानी एनोड और कैथोड से करंट फ्लो करता है तो इसमें रौशनी पैदा हो जाती है। अब ये डायोड अलग अलग प्रकाश की रंग की रौशनी पैदा कर सकता है। इसमें पैदा होने वाले प्रकाश की रंग इसमें उपयोग किए गए सेमीकंडक्टर के एनर्जी गैप के ऊपर निर्भर करता है।

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कॉन्स्टेंट करंट डायोड – Constant-current diode

कॉन्स्टेंट करंट डायोड को लिमिटिंग डायोड भी कहा जाता है, क्योंकि ये डायोड वॉल्टेज की एक लिमिटेड रेंज को बनाए रखता है। यानी हमें जितनी वोल्टेज जानिए या जितना करंट इसमें से फ्लो करवाना है, वो हम इस डायोड की मदद से कर सकते हैं। जैसे हमे पाँच वोल्ट इससे फ्लो करवाने है, तो हम पाँच वोल्ट का डायोड उपयोग में लेंगे। ये पाँच वोल्ट से ज्यादा अपने अंदर से फ्लो नहीं करने देगा।

ऐवलैन्च डायोड – Avalanche diode

ये ऐवलैन्च डायोड भी ज़िनर डायोड की तरह ही काम करता है। जब ऐवलैन्च डायोड को पावर सप्लाई से जोड़ा जाता है, तो इसमें से करंट फ्लो करने लग जाता है। ऐवलैन्च डायोड एक रिवर्स बायस डायोड होता है। ये डायोड बहुत ही सेंसिटिव होते हैं, इसीलिए ऐवलैन्च डायोड का उपयोग फोटो डिटेक्शन में किया जाता है।

फोटो डायोड – Photodiode

फोटो डायोड का उपयोग लाइट का पता लगाने के लिए किया जाता है। जब फोटो डायोड पे थोड़ी सी भी रौशनी पड़ती है, तो ये डायोड सिग्नल को आगे भेजता है। फोटो डायोड का उपयोग सोलर सेल मे किया जाता है।

PN जंक्शन डायोड

PN जंक्शन डायोड को रेक्टिफायर डायोड भी कहा जाता है। इस डायोड में दो लेयर होती हैं, जिनमें से एक P टाइप की होती है, और दूसरी N टाइप की लेयर होती है। इन दोनों लेयर को मिलाके ही PN जंक्शन डायोड बनता है।

डायोड का उपयोग

  • डायोड का उपयोग गेट बनाने में किया जाता है।
  • ज़िनर डायोड का इस्तेमाल वोल्टेज सर्ज से सर्किट को बचाने के लिए किया जाता है।
  • डायोड का उपयोग सोलर पैनल में किया जाता है।
  • डायोड का उपयोग टीवी और रेडियो आदि जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है।
  • LED यानी लाइट एमिटिंग डायोड का उपयोग लाइट जेनरेशन यानी प्रकाश उत्त्पन्न करने के लिए किया जाता है।
  • डायोड का उपयोग AC को DC में बदलने के लिए रेक्टिफायर में किया जाता है।

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FAQ

डायोड का काम क्या होता है?

डायोड को रेक्टिफायर्स, मोडुलेटर, वोल्टेज रेगुलेटर आदि के रूप में उपयोग किया जाता है। जब डायोड के कैथोड टर्मिनल को नेगेटिव से जोड़ते है, और एनोड को पॉजिटिव से जोड़ते हैं तो उस समय करंट बहने लगता है और इसे फॉरवर्ड बायसिंग कहते हैं।

डायोड के 3 मुख्य उपयोग क्या हैं

Converting AC to DC, separating signals from supply and mixing signals

डायोड को हिंदी में क्या कहते हैं?

डायोड को हिंदी में द्विअग्र या द्वयाग्र कहते हैं?

एक डायोड में कितने जंक्शन होते हैं?

डायोड में P और N ये 2 जंक्शन होते हैं।

डायोड क्या होता है ? (What is Diode?)

डाइव एक इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट होता है। डायोड का उपयोग बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में किया जाता है।

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