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DG ABCD check in Hindi | DG ABCD check pdf

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DG ABCD check in Hindi

DG ABCD check in Hindi – DG में चेक्स का मतलब इसकी PPM या फिर एक तरह की रेगुलर मेंटेनेंस मान सकते हैं। ताकि DG में जो भी छोटी मोटी दिक्कतें आती हैं, उनको समय रहते दूर किया जा सके। जिससे भविष्य में DG में किसी भी तरह का कोई बड़ा ब्रेकडाउन आने से बचा जा सके। इसके अलावा DG की उम्र भी बढ़ाई जा सके साथ ही इसके कारण DG की एफिशिएंसी यानी कार्य क्षमता भी बढ़ाई जा सकती है।

इसीलिए हम DG की रेगुलर मेंटेनेंस और DG ABCD check करते हैं, क्योंकि DG में अगर कोई बड़ा ब्रेकडाउन आता है तो हमें बहुत ज्यादा रुपयों का नुकसान हो सकता है। तो इस रेगुलर मेंटेनेंस के जरिए हम होने वाले इस रुपयों के नुकसान को भी बचा सकते हैं। इस रेगुलर मेंटेनेंस को ही हम A, B, C, D चेक के नाम से जानते हैं। या यूं कहें कि हम इस मेंटेनेंस को भी A, B, C, D चेक में डिवाइड करते हैं।

DG मे DG ABCD check क्यूँ जरूरी होते हैं।

  • इनके कारण पैसे की बचत होती है।
  • इनके कारण DG की efficiency बढ़ती है।
  • इनके कारण DG मे ब्रैक्डाउन का समय बहुत कम होता है।
  • इसके कारण DG कि सैफ्टी भी बनी रहती है।

A check

A check की बात की जाए तो यह इसको हर रोज किया जाता है। एक चेक करते समय हमें सबसे पहले DG को मैनुअल में डाल लेना चाहिए, ताकि काम करते समय DG अपने आप चालू न हो। और कोई भी हादसा होने से बच जाए।

  • कपड़े से पूरे DG को बड़ी अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।
  • DG का जो डे टैंक होता है, उसमें हमें फ्यूल लेवल चेक करना चाहिए। जो डे टैंक में फ्यूल का लेवल है, वह कम से कम 50% तो रहना ही चाहिए।
  • DG में जितने भी इलेक्ट्रिकल कनेक्शन है, उनको हमें सही से चेक करना चाहिए, कि यह सही से टाइट है या नहीं।
  • DG में जो बैटरी लगी होती है, हमें उसकी वोल्टेज चेक करनी है। यह वोल्टेज 1 बैटरी वाले DG में12 वोल्ट और 2 बैटरी वाले DG में 24 वोल्ट से कम नहीं होनी चाहिए।
  • जो बैटरी के टर्मिनल है, हमें वह चेक करने चाहिए। कहीं बैटरी के टर्मिनल ढीले तो नहीं है। अगर ढीले हैं, तो उनको टाइट करना चाहिए। क्योंकि इनके ढीले होने से DG की सेल्फ के समय स्पार्किंग होकर बैटरी डैमेज हो सकती है।
  • DG में किसी भी प्रकार की कोई भी लीकेज नहीं होनी चाहिए। जैसे कि ना तो फ्यूल लीक होना चाहिए, ना ही कूलेंट और ना ही लुब्रिकेंट ऑयल लीक होना चाहिए।
  • DG का हमें कूलेंट लेवल चेक करना चाहिए। अगर कूलेंट लेवल कम है, तो हमें कूलेंट का टॉपअप करना चाहिए।
  • DG का कूलिंग सिस्टम भी हमें चेक करना चाहिए। अगर आपके DG पर कूलिंग सिस्टम लगा है, जैसे कूलिंग टावर और पंप, तो उनको अच्छे से चेक करना चाहिए। कहीं वह खराब तो नहीं है, पानी पूरा है कि नहीं है, कोई वाल्व वहां पर बंद तो नहीं है।
  • DG में जितनी भी v-belt लगी है, वह हमें चेक करनी चाहिए। कहीं कोई बेल्ट लूज तो नहीं है। अगर ढीली है तो DG का कूलिंग सिस्टम या फिर जो बैटरी का चार्जिंग सिस्टम है वह सही से काम नहीं करेगा।
  • DG में लगे सभी तरह के फिल्टर को हमें चेक करना चाहिए। हमें देखना चाहिए कहीं कोई फ़िल्टर ढीला तो नहीं है, उनमें कोई लीकेज तो नहीं है। या उनमें कोई क्रैक वगैरा तो नहीं है।
  • डीजी में हमें लूब ऑयल का लेवल चेक करना चाहिए। कहीं लूब ऑयल कम तो नही है। अगर कम है तो हमें लूब ऑयल का टॉप अप करना चाहिए।

इसके अलावा हमें DG के अंदर विजुअल इंस्पेक्शन यानी सभी जगह देख के पता लगाना चाहिए और चीजों को ऑब्जर्व करना चाहिए कि सभी चीजें सही है या नहीं है।








B Check

B Check की बात की जाए तो B Check 300 से 350 घंटे के बीच में किया जाता है या फिर 6 महीने के बाद। इनमें से जो भी पहले हो वहां पर B Check किया जाता है। अब B Check में हमें क्या-क्या करना होता है ये जान लेते हैं।

  • रिपीट A चेक यानी के A चेक में हम जो जो भी करते हैं, वह हमें B चेक में भी करना चाहिए।
  • B चेक में हमें इंजन ऑयल को चेंज करना होता है।
  • DG में जो ऑयल फिल्टर लगे होते हैं, B चेक में इन फिल्टर को भी चेंज करना होता है।
  • DG के बायपास फिल्टर को भी B चेक में चेंज करना होता है।
  • DG में जो फ्यूल फिल्टर लगे होते हैं, उनको भी B चेक में चेंज करना होता है।
  • हमारे DG में जितने भी होज पाइप लगे हैं, उन सभी होज पाइप को हमें B चेक के दौरान जांचना चाहिए, कहीं कोई होज पाइप फटा तो नहीं है, किसी में दरार तो नहीं आई है। अगर किसी में कोई दरार आ गयी है या पाइप फटा हुआ मिलता है तो उसको हमें चेंज करना चाहिए।
  • DG में लगे एयर फिल्टर को भी B चेक में देखना करना चाहिए और उसको अच्छे से क्लीन करना चाहिए। अगर एयर फिल्टर बहुत ज्यादा गंदा हो गया है, और साफ होने लायक नहीं है, तो उसको भी हमें चेंज करना चाहिए।

C Check

C Check की बात की जाए तो C चेक को हर 1500 घंटे पे किया जाता है।

  • C चेक में सबसे पहले A और B चेक में जो भी काम किया जाता है उसको दोहराना होता है।
  • जो हमारे DG का फ्यूल टैंक होता है, जिसको डे टैंक भी बोला जाता है, C चेक में उसकी क्लीनिंग करनी होती है।
  • DG में एक वाटर रेडिएटर लगा रहता है। उसको केमिकल की मदद से हमें साफ करना होता है।
  • जितने भी पंप और कूलिंग फैन हमारे DG के सिस्टम में दिए गए होते हैं, वह हमें सब चेक करने होते हैं। अगर इनमें कोई दिक्कत है, तो उसको दूर किया जाना होता है।
  • इसके अलावा हमें DG के पॉल्यूशन लेवल को भी चेक करना होता है। अगर पोलूशन लेवल ज्यादा है तो फिर हमें आगे प्रोसीजर करना है, जो पोलूशन लेवल को कम करे।

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D Check

D Check की बात की जाए तो D चेक हर 6000 के बाद किया जाता है।

  • D चेक में सबसे पहले हमें जो A, B, और C चेक में हमने प्रोसीजर फॉलो किया था, उसको रिपीट करना है।
  • DG में जो इंजेक्टर लगा होता है उसको सही से क्लीन करना होता है। और अगर फ्यूल इंजेक्टर के केलिब्रेट करने की अगर जरूरत है तो हमें उसको कैलिब्रेट करना होता है।
  • जो DG में रोकर्स कवर यानी गैस किट या फिर सील लगी होती हैं, उन सभी को भी हमें डी चेक में बदलना होता है।
  • जो फ्यूल पंप होता है हमें उसके कैलिब्रेशन को भी चेक करना होता है अगर उसमें कोई दिक्कत है तो D चेक में उसका कैलिब्रेशन करना होता है।
  • जितने भी नट बोल्ट हमारे DG में लगे हैं, उन सभी को हमने टाइट करना होता है। अगर टाइट नहीं करते हैं तो हमारे सिस्टम में खराबी आ सकती है। क्योंकि जब DG चलता है तो वाइब्रेशन बहुत ज्यादा होती है। और वाइब्रेशन के कारण जो हमारे नट बोल्ट हैं, वह धीरे-धीरे ढीले हो जाते हैं और ज्यादा समय तक ऐसे ही छोड़ने पर वह खुलकर खो जाते हैं। जिससे हमारा सिस्टम डैमेज हो सकता है।
  • हमारे DG में जो कूलिंग सिस्टम लगा रहता है उसकी हमें डिस्केलिंग करनी होती है।
  • D चेक में जो DG में वाइब्रेशन डंपर दिए गए होते हैं, आपने DG के बेस पर देखा होगा कुछ स्प्रिंग या फिर रबड़ जैसे वाइब्रेशन डैम्पर में लगे रहते हैं। तो DG अच्छे तरह से वाइब्रेशन को खत्म करे इसके लिए उनको भी हमें चेक करना होता है।
  • DG में जितनी भी सेफ्टी लगी होती हैं, हमें डी चेक में उन सभी सेफ्टी को भी चेक करना होता है।
  • DG के टर्बोचार्जर को भी हम D चेक में जांचना होता है कि यह सही से काम कर रहा है या नहीं।
  • अगर हमें मैनेजमेंट से परमिशन मिलती है, तो हमें पूरे के पूरे DG को डिस्मेंटल करना चाहिए। और फिर से उसकी सही से सर्विस करके उसको असेंबल कर देना चाहिए।

DG के बारे मे अन्य पोस्ट: –

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FAQ

डीजी चेक कितने प्रकार के होते हैं?

DG मे चार चेक किए जाते हैं।
1. A चेक
2. B चेक
3. C चेक
4. D चेक

DG मे B चेक कब किया जाता है?

B Check की बात की जाए तो B Check 300 से 350 घंटे के बीच में किया जाता है या फिर 6 महीने के बाद।

DG मे C चेक कब किया जाता है?

C Check की बात की जाए तो C चेक को हर 1500 घंटे पे किया जाता है।

DG मे A चेक कब किया जाता है?

A check की बात की जाए तो यह इसको हर रोज किया जाता है।

DG मे D चेक कब किया जाता है?

D Check की बात की जाए तो D चेक हर 6000 के बाद किया जाता है।

एबीसीडी चेक क्या है?

DG में चेक्स का मतलब इसकी PPM या फिर एक तरह की रेगुलर मेंटेनेंस मान सकते हैं। ताकि DG में जो भी छोटी मोटी दिक्कतें आती हैं, उनको समय रहते दूर किया जा सके।

डीजी मेंटेनेंस क्या है?

इसको एक तरह की रेगुलर मेंटेनेंस मान सकते हैं। ताकि DG में जो भी छोटी मोटी दिक्कतें आती हैं, उनको समय रहते दूर किया जा सके। जिससे भविष्य में DG में किसी भी तरह का कोई बड़ा ब्रेकडाउन आने से बचा जा सके। इसके अलावा DG की उम्र भी बढ़ाई जा सके साथ ही इसके कारण DG की एफिशिएंसी यानी कार्य क्षमता भी बढ़ाई जा सकती है।

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