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इलेक्ट्रिक करंट, वोल्टेज और रेजिस्टेंस क्या होते हैं और इनमें क्या रिलेशन है।

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इलेक्ट्रिक करंट वोल्टेज और रेजिस्टेंस क्या होते हैं और इनमें क्या रिलेशन है।

इस पोस्ट में आपको बहुत ही आसान शब्दों में यह जानेंगे कि इलेक्ट्रिक करंट, वोल्टेज और रेजिस्टेंस क्या होते हैं और इनमें क्या रिलेशन है।

इलेक्ट्रिक करंट क्या होता है

तो इलेक्ट्रिक करंट सिंपली किसी भी कंडक्टर में रेट ऑफ फ्लो ऑफ नेगेटिव चार्ज होता है। अगर दूसरी भाषा में बताऊं तो किसी भी कंडक्टर में इलेक्ट्रॉन के फ्लो को हम इलेक्ट्रिक करंट कहते हैं।

इलेक्ट्रिक करंट, वोल्टेज और रेजिस्टेंस क्या होते हैं और इनमें क्या रिलेशन है।

उदाहरण के लिए देखें अगर एक वायर है, और उस वायर में जो इलेक्ट्रॉन का फ्लो हो रहा है वो इलेक्ट्रॉन का फ्लो इट सेल्फ एक इलेक्ट्रिक करंट है। नेगेटिव आयन्स जो इलेक्ट्रॉन होते हैं जब भी वो फ्लो करते हैं तो उस रेट ऑफ फ्लो ऑफ नेगेटिव चार्ज को हम इलेक्ट्रिक करंट कहते हैं। तो इलेक्ट्रिक करंट को एंपियर में मापा जाता है, और इस एंपियर को A से डिनोट किया जाता है।

वोल्टेज क्या होता है

इलेक्ट्रिक करंट, वोल्टेज और रेजिस्टेंस क्या होते हैं और इनमें क्या रिलेशन है।

वोल्टेज को जानना भी बहुत आसान है। जब एक वायर में इलेक्ट्रॉन फ्लो करते हैं, तो इन इलेक्ट्रॉन को धक्का मार के फ्लो कराने का काम जो फोर्स करती है उसे इलेक्ट्रोमोटिव फोर्स बोलते हैं। ये इलेक्ट्रोमोटिव फोर्स जो आयन्स को धक्का मार के एक जगह से लेकर दूसरी जगह तक लेके जा रही है यानी करंट को एक जगह से दूसरी जगह तक फोर्स करके मूव करा रही है उसको वोल्टेज कहते हैं।








तो वोल्टेज सिंपली एक इलेक्ट्रोमोटिव फोर्स होती है, जो नेगेटिव आयन्स को या नेगेटिव चार्ज के इलेक्ट्रॉन को एक जगह से दूसरी जगह पुश करके ले जाती है। तो सिंपली वोल्टेज यही होती है कि ये एक फोर्स है जो इलेक्ट्रिक करंट को एक सर्किट में मूव कराती है। इलेक्ट्रिक वोल्टेज को हम वोल्ट्स में मापते हैं और इसको रिप्रेजेंट करा जाता है V से।

इलेक्ट्रिक रेजिस्टेंस क्या होता है।

इलेक्ट्रिक रेजिस्टेंस एक प्रकार की बाधा है, एक रुकावट है जो इलेक्ट्रिक करंट के रास्ते में आती है। तो जब इलेक्ट्रिक करंट एक वायर या केबल में फ्लो कर रहा होता है, तो उसके रास्ते में जो रुकावटें आ रही है जो इलेक्ट्रिक फ्लो के चार्ज को स्लो कर रही है उसको इलेक्ट्रिक रेजिस्टेंस कहते हैं।

जब भी किसी एलिमेंट में या किसी भी इंस्ट्रूमेंट में हम इलेक्ट्रिक करंट फ्लो करा रहे हैं तो उसमें इलेक्ट्रॉन कितना फ्रीली मूव कर पा रहे हैं, ये डिफाइन करता है कि वो इंसुलेटर है या कंडक्टर है। तो जिस भी चीज में इलेक्ट्रॉन फ्रीली मूव कर सकते हैं यानी करंट आराम से फ्लो कर सकता है वो कंडक्टर्स होते हैं। और जिस भी चीज में इलेक्ट्रॉन का फ्लो स्मूथ नहीं होता जिसमे इलेक्ट्रॉन का फ्लो होने में बहुत ज्यादा रुकावट आती है वो इंसुलेटर्स होते हैं। तो रेजिस्टेंस का काम करंट को अपोज करना है।

अगर मैं एक उदाहरण के साथ बताऊं तो एक नल में से जब पानी बह रहा होता है उदाहरण के लिए वो पानी इलेक्ट्रिक करंट है। तो नल को जब मैं घुमाता हूं और नल का वॉल्व धीरे-धीरे नल को बंद करने लगता है और पानी का फ्लो कम होने लगता है तो जो वॉल्व धीरे-धीरे घुमा के बंद किया जा रहा है और पानी के फ्लो में रुकावट पैदा कर रहा है वो असल मे रेजिस्टेंस है।

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तो अब इन तीनों में आपस में क्या रिलेशन है ये समझने से पहले हम दो केस समझ लेते हैं:-

ओम्स लॉ क्या है?

ओम्स लॉ कहता है कि v = ir यानी वोल्टेज, करंट × रेजिस्टेंस के बराबर होती है। जिस हिसाब से अगर हम देखें तो वोल्टेज यहां पे करंट के डायरेक्टली प्रोपोर्शनल होती है। यानी अगर वोल्टेज बढ़ेगी तो करंट भी बढ़ेगा। लेकिन प्रैक्टिकल आपने देखा होगा कि जब भी किसी इंडस्ट्री में HT सप्लाई 11kv या 33kv की आ रही है तो वहां पर हम देखते हैं कि जहां पर लोड लगा हुआ है ट्रांसफॉर्मर के बाद या ट्रांसफॉर्मर के पहले उस केस में क्या हो रहा है। वहां पे वोल्टेज बढ़ने से करंट घट रहा है, और वोल्टेज घटाने से करंट बढ़ रहा है।

इलेक्ट्रिक करंट, वोल्टेज और रेजिस्टेंस क्या होते हैं और इनमें क्या रिलेशन है।

तो ये ओम्स लॉ के v = ir को गलत बात रहा है। प्रैक्टिकली देखा जाए तो इन दो केस में वोल्टेज और करंट का रिलेशन अपोजिट है। सबसे पहले ये समझते हैं ओम्स लॉ v = ir तब काम करेगा जब रेजिस्टेंस कांस्टेंट होता है। और दूसरे केस में जैसा कि हमने एक इंडस्ट्री का उदाहरण लिया वहां पे v = ir तब काम करेगा जब पावर कांस्टेंट हो। तो यहां पे वोल्टेज और करंट के 2 रिलेशन हो गए।

  • रेजिस्टेंस कांस्टेंट
  • पावर कांस्टेंट

तो यहां पे जिस भी केस में पावर कांस्टेंट होगी वहां पे वहां पे वोल्टेज और करंट एक दूसरे के इंवर्सलली परपोसनल होंगे। यानी वोल्टेज घटाने से करंट बढ़ेगा, और वोल्टेज बढ़ाने से करंट घटेगा।

ठीक ऐसे ही अगर यहां पे रेसिस्टेंस कांस्टेंट है तो यहां पे वोल्टेज और करंट एक दूसरे के डायरेक्टली परपोसनल होते हैं। यानी इस केस में वोल्टेज घटाने से करंट घटेगा, और वोल्टेज बढ़ाने से करंट भी बढ़ेगा।

ये बहुत ही इंपॉर्टेंट है जिसको बहुत बार ज्यादातर लोग समझ ही नहीं पाते। जिसका नुकसान उनको किसी भी जॉब के इंटरव्यू में या फिर प्रैक्टिकल लाइफ में काम करते हुए उठाना पड़ सकता है। इसीलिए करंट और वोल्टेज के बीच इस रिलेशन को समझना बहुत ही जरूरी है।

तो उम्मीद है आपको इलेक्ट्रिक करंट क्या होता है, इलेक्ट्रिक करंट वोल्टेज और रेजिस्टेंस क्या होते हैं और इनमें क्या रिलेशन है, इलेक्ट्रिक रेजिस्टेंस क्या होता है, ओम्स लॉ क्या है, वोल्टेज क्या होता है, से जुड़ी हुई पोस्ट आपको पसंद आई होगी। आपको हमारी ये पोस्ट कैसी लगी आप हमें कमेंट में बता सकते हैं या हमसे कांटेक्ट कर सकते हैं। अगर आपको ये पोस्ट ज्ञानवर्धक लगी हो तो दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं। साथ ही हमारे YouTube Channel Electrical Help सब्सक्राइब भी कर सकते हैं।

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